ग्वालियर में अचलेश्वर मंदिर में हर वर्ष श्री जी के रूप में गणेश जी स्थापना की जाती है और नगर भ्रमण के बाद विसर्जन किया जाता है। इस बार प्रबंधकों ने नगर भ्रमण नहीं करने का फैसला किया है। करीब 20 फीट ऊंची मूर्ति को क्रेन से जरिए सीधा विसर्जन स्थल तक ले जाया जाएगा।
इस बार भी ग्वालियर के अचलेश्वर लगभग 20 फीट ऊंची रिद्धि-सिद्धि व मूषक महाराज के साथ विराजित की गई है।
पूरे प्रदेश में भारी बारिश के कारण जर्जर हुईं सड़कें
गड्ढों के कारण रोज सामने आ रहीं सड़क दुर्घटनाएं
मरम्मत की तत्काल जरूरत, लेकिन सरकार बेखबर
ग्वालियर। मध्य प्रदेश में बारिश के बाद सड़कें खस्ताहाल हैं। इससे न केवल आम नागरिकों, बल्कि भगवान को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ताजा खबर ग्वालियर से है। यहां जर्जर सड़कों को देखते हुए तय हुआ है कि विसर्जन से पहले बप्पा का नगर भ्रमण नहीं होगा।
पिछले 36 घंटे अनवरत बारिश के कारण ग्वालियर की सड़कों की हालत और भी जर्जर हो गई है। सड़कों को हालात को देखते हुए अचलेश्वर विराजित 20 फीट ऊंची गणपति बप्पा की प्रतिमा को मंगलवार को नगर भ्रमण की बजाये सीधे ट्रोला के माध्यम से विसर्जनस्थल पर ले जाया जाएगा।
श्रीजी का विसर्जन सागरताल पर जिला प्रशासन द्वारा निर्मित अस्थाई तालाब में किया जायेगा या फिर नूराबाद ले जाकर किया जायेगा। इसका निर्णय अस्थाई तालाब को देखने के बाद किया जायेगा।
टूटेगी सालों पुरानी परंपरा
परंपरा के अनुसार, श्रीजी को चल समारोह के रूप में विसर्जित किया होते हैं। अचलेश्वर मंदिर पर पिछले तीन दशक से अधिक समय श्रीजी की प्रतिमा विराजित की जा रही है।
अनंत चतुदर्शी को श्रीजी को विसर्जन के लिए चल समारोह के रूप में नगर भ्रमण के लिए सागरताल पर ले जाया जाता रहा है। इस बार बारिश के कारण सड़कों की हालत खराब है।
पहले बप्पा को दालबाजार, नया बाजार, ऊंट पुल, पाटनकर बाजार, सराफा बाजार, गश्त का ताजिया, राममंदिर, फालका बाजार, शिंदे की छावनी होते हुए सागरताल ले जाया जाता रहा है।
इस बार प्रतिमा को क्रेन की मदद से ट्रोला पर विराजित कर जयेंद्रगंज होते हुए सीधे विसर्जन स्थल पर ले जाये जायेगा। इसके लिए गणेश मंडल की ओर से खराब सड़कों का हवाला दिया गया है।
चल समारोह नहीं
विसर्जन के लिए श्रीजी का चल समारोह नगर में निकालने की बजाये सीधे विसर्जन स्थल पर ले जाया जाएगा। विसर्जन सागरताल पर निर्मित किये जा रहे अस्थाई तालाब में किया जायेगा या फिर नूराबाद ले जाया जाये। इसका निर्णय अस्थाई तालाब को देखने व प्रशासनिक अधिकारियों से चर्चा के बाद लिया जायेगा। – वीरेंद्र शर्मा, मंदिर के प्रबंधक