Friday, September 20, 2024
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खुशखबरी: इंदौर-मनमाड़ के बीच नई रेल लाइन को केंद्रीय कैबिनेट ने दी मंजूरी, 4 साल में बनेगा 309 किमी लंबी ट्रैक

इंदौर और मनमाड़ के बीच आखिर रेल लाइन को मंजूरी मिल ही गई। यह रेल परियोजना जेएनपीए के गेटवे पोर्ट और अन्य राज्य बंदरगाहों से पीथमपुर ऑटो क्लस्टर (जहां 90 बड़ी इकाइयां और 700 छोटे और मध्यम उद्योग हैं) को सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।

मनमाड इंदौर के बीच न्यू रेल लाइन को मिली मंजूरी। यह 2028-29 तक पूरी हो जाएगी।

इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन की कुल लंबाई 268 किमी है।

परियोजना की कुल लागत 18,036 करोड़ रुपये है

परियोजना निर्माण के दौरान रोजगार भी पैदा करेगी

इंदौर निवासियों के लिए खुशखबरी है। मनमाड इंदौर के बीच न्यू रेल लाइन को मंजूरी मिल गई है। केंद्रीय कैबिनेट ने 309 किलोमीटर की योजना को मंजूरी दी। यह 18036 करोड़ का प्रोजेक्ट है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने रेल मंत्रालय के तहत 18,036 करोड़ रुपये (लगभग) की कुल लागत वाली नई रेलवे लाइन परियोजना को मंजूरी दे दी है। इंदौर और मनमाड के बीच प्रस्तावित नई लाइन सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करेगी और गतिशीलता में सुधार करेगी, जिससे भारतीय रेलवे के लिए बेहतर दक्षता और सेवा विश्वसनीयता मिलेगी।

इस मंजूरी से दो राज्‍यों को होंगे फायदे

कैबिनेट ने 309 किलोमीटर लंबी नई लाइन परियोजना को मंजूरी दी।

दो प्रमुख वाणिज्यिक केंद्रों – मुंबई और इंदौर के बीच सबसे छोटी रेल कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए यह काम करेगी।

स्वीकृत परियोजना वाणिज्यिक केंद्रों मुंबई और इंदौर को सबसे छोटे रेल मार्ग से जोड़ेगी।

इसके अलावा यह रेलवे लाइन महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के असंबद्ध क्षेत्रों को भी जोड़ेगी।


यह रेलवे लाइन महाराष्ट्र के 2 जिलों और मध्य प्रदेश के 4 जिलों से होकर गुजरेगी।

परियोजना की कुल लागत ₹ 18,036 करोड़ है और इसे 2028-29 तक पूरा किया जाएगा।

परियोजना निर्माण के दौरान लगभग 102 लाख मानव-दिवसों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार भी पैदा करेगी।


परियोजना मंजूर होने के मायने

यह परियोजना प्रधानमंत्री मोदी के नए भारत के विजन के अनुरूप है, जो क्षेत्र में व्यापक विकास के माध्यम से क्षेत्र के लोगों को “आत्मनिर्भर” बनाएगा, जिससे उनके रोजगार/स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

यह परियोजना मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम है, जो एकीकृत योजना के माध्यम से संभव हुआ है।

यह लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।

यह परियोजना 2 राज्यों यानी महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के 6 जिलों को कवर करती है 1,000 गांव और करीब 30 लाख की आबादी को लाभ मिलेगा।

परियोजना देश के पश्चिमी/दक्षिण-पश्चिमी हिस्से को मध्य भारत से जोड़ने वाला छोटा रास्ता उपलब्ध कराकर इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देगी।

इससे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर सहित उज्जैन-इंदौर क्षेत्र के विभिन्न पर्यटन/धार्मिक स्थलों पर पर्यटकों की आवाजाही बढ़ेगी।

परियोजना मध्य प्रदेश के बाजरा उत्पादक जिलों और महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक जिलों को भी सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करेगी, जिससे देश के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में इसके वितरण में सुविधा होगी।

यह कृषि उत्पादों, उर्वरक, कंटेनर, लौह अयस्क, स्टील, सीमेंट, पीओएल आदि जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए एक आवश्यक मार्ग है।

क्षमता वृद्धि कार्य के परिणामस्वरूप लगभग 26 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी।

268 किमी है रेल लाइन की लंबाई

इसके लिए 2200 हेक्टेयर भूमि भी अधिगृहीत करने की आवश्यकता होगी। छह साल की देरी होने से इस परियोजना की अनुमानित लागत साढ़े नौ हजार करोड़ से बढ़कर 22 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन की कुल लंबाई 268 किमी है।

9 सुरंगें भी बनेगी

इसमें 50 किमी मनमाड़ से धुले तक काम चल रहा है। अब धुले से इंदौर के महू तक लाइन बिछाने के लिए डीपीआर तैयार है। सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन पर ठोस प्रगति हुई है। इस ट्रैक के बनने से इंदौर की मुंबई व दक्षिण के राज्यों के बीच संपर्क सुगम होगा। 218 किमी हिस्से में लाइन बिछाई जानी है, उसमें 9 सुरंगें बनेंगी।



SourceNaidunia
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