Tuesday, March 25, 2025
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Mahakal Diwali Puja: राष्ट्र में सुख समृद्धि के लिए चांदी के सिक्के से होगी महाकाल की महापूजा

उज्जैन स्थित ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर भी धनतेरस से दीपोत्सव शुरू हो गया है। आज भगवान महाकाल की विशेष पूजा की जा रही है। यह क्रम दीवाली तक चलेगा। परंपरा के अनुसार, बाबा महाकाल के दरबार में हर त्योहार एक दिन पहले मनाया जाता है। इस तरह दीवाली बुधवार यानी चतुर्दशी के दिन मनाई जाएग।

महाकाल में आज से शुरू होगा पांच दिवसीय महापर्व

सबसे पहले महाकाल के दरबार में मनती है दीपावली

31 अक्टूबर को भस्म आरती में होगी फुलझड़ी आरती

उज्जैन। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में मंगलवार को धन त्रयोदशी से पांच दिवसीय दीपपर्व का शुभारंभ होगा। राष्ट्र में सुख समृद्धि की कामना से भगवान महाकाल को चांदी का सिक्का अर्पित कर महापूजा की जाएगी।

31 अक्टूबर को दीपावली तथा 2 नवंबर को गोवर्धन पूजा होगी। दीपपर्व के लिए मंदिर में आकर्षक विद्युत रोशनी व पुष्प सज्जा की जाएगी।

धनत्रयोदशी : महाकाल पर न्योछावर होंगे चांदी के सिक्के

धनत्रयोदशी पर पुरोहित समिति द्वारा भगवान महाकाल की महापूजा की जाएगी। अध्यक्ष पं.लोकेश व्यास ने बताया महापूजा के लिए विशेष तौर पर चांदी के सिक्के बनवाए गए हैं। देश, प्रदेश व नगर में सुख समृद्धि की कामना से भगवान को चांदी का सिक्का अर्पित कर पूजा अर्चना की जाएगी।

इसके बाद राजा पर सिक्के न्योछावर कर समिति सदस्यों को वितरित किए जाएंगे। इस दिन मंदिर के सभी पुरोहित घर पर इन्हीं सिक्कों की पूजा करते हैं। बता दें अन्य मंदिरों में अन्नकूट की शुरुआत दीपावली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से होती है।

दीपावली: अवंतिकानाथ को लगेगा सबसे पहले अन्नकूट

ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में रूप चतुर्दशी पर दीपावली मनाने की परंपरा है। इस बार 31 अक्टूबर को तड़के 4 बजे भस्म आरती में दीपावली मनाई जाएगी। भस्म आरती करने वाले पं.महेश पुजारी ने बताया, लौकिक जगत में भगवान महाकाल उज्जैन के राजा माने जाते हैं।

इसलिए सनातन धर्म परंपरा का कोई सा भी त्योहार हो, सबसे पहले राजा के आंगन में मनाया जाता है। इसलिए मंदिर में अमावस्या की जगह चतुर्दशी पर दीपावली मनाई जाती है। इस दिन उबटन लगाकर रूप निखारने की परंपरा है।

राजा को सबसे पहले केसर चंदन का उबटन लगाकर गर्म जल से स्नान कराया जाता है। पश्चात नए वस्त्र व सोने चांदी के आभूषण धारण कराकर विशेष श्रृंगार किया जाता है। इसके बाद भगवान को अन्नकूट का भोग लगाकर फुलझड़ी से आरती की जाती है।

गोवर्धन पूजा : गोशाला में होगा गोवर्धन पूजन

महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा ग्राम चिंतामन स्थित वैदिक शोध संस्थान परिसर में गोशाला का संचालन किया जाता है। मंदिर की परंपरा अनुसार 2 नवंबर को गोशाला में गोवर्धन पूजा होगी। मंदिर प्रशासक व समिति सदस्यों द्वारा गोवर्धन व गोमाता का पूजन किया जाएगा।

SourceNaidunia
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