मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने सोमवार को बड़ा आदेश जारी किया है। इसमें पुलिस के खिलाफ आने वाली शिकायतों का चार हफ्ते में निराकरण करने को कहा गया है। इसके साथ ही प्रदेश के सभी थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने और उनकी रिकॉर्डिंग एक महीने तक सहेजकर रखने को कहा है।
चार हफ्ते में प्रदेश के सभी थानों में सीसीटीवी लगाने का आदेश।
इन सभी कैमरों की एक महीने की रिकॉर्डिंग भी सहेजनी होगी।
सरकार को भी बताना होगा आदेश पालन के लिए क्या किया।
(MP High Court)। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने बड़ा आदेश जारी कर प्रदेश के सभी थानों में चार हफ्ते में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया है। थानों में इनकी रिकॉर्डिंग कम से कम एक महीने तक सहेजकर रखी जाएगी। इसके साथ ही पुलिस के खिलाफ शिकायत आने पर उसका चार हफ्ते में निराकरण अनिवार्य रूप से किया जाए। हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को भी कहा कि वो पांच हफ्ते में यह बताए कि आदेश के पालन में क्या किया गया।
बीआरटीएस की उपयोगिता जांचना जरूरी : कोर्ट
बीआरटीएस पर फ्लाईओवर बन रहे हैं। ऐसे में इसकी उपयोगिता जांचना जरूरी है। इस टिप्पणी के साथ हाई कोर्ट ने बीआरटीएस की उपयोगिता जांचने के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर दी है। कमेटी को आठ सप्ताह में रिपोर्ट सौंपना है। बीआरटीएस को लेकर हाई कोर्ट में दो जनहित याचिकाएं चल रही हैं।
एक में इस प्रोजेक्ट को गलत बताया गया है तो दूसरी में इसे तोड़ने की मांग की गई है। कहा है कि बीआरटीएस में सड़क का एक बड़ा हिस्सा जा रहा है जबकि इस प्रोजेक्ट का लाभ सिर्फ दो प्रतिशत जनता को मिल रहा है।
ऐसे में इसे समाप्त किया जाए। पिछली सुनवाई पर याचिकाकर्ता किशोर कोडवानी ने कोर्ट के समक्ष तर्क रखा था कि बीआरटीएस के ऊपर फ्लाईओवर निर्माण किया जाना है। निर्माण के दौरान बीआरटीएस पर यातायात पूरी तरह से बंद रखना पडेगा।
फ्लाईओवर के निर्माण के बाद इसकी उपयोगिता भी समाप्त हो जाएगी। ऐसे में बीआरटीएस को तोड़ने का आदेश दिया जाए। इस पर कोर्ट ने उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का आदेश दिए थे।