यात्रियों की शिकायत है कि श्रीधाम स्टेशन से जबलपुर और इटारसी के बीच का सफर अब मुश्किल साबित हो रहा है। हालत यह है कि वैकल्पिक मेमू ट्रेन में सीमित बोगियां यात्रियों के लिए मुसीबत का कारण बन रही हैं। इस गाड़ी में सीट नहीं मिलने से सवारियों को अपना पूरा सफर खड़े-खड़े ही करना पड़ रहा है।
गोटेगांव के श्रीधाम स्टेशन से रेलयात्रियों को जबलपुर से इटारसी के बीच यात्रा कराने में मुख्य भूमिका निभाने वाली इटारसी से जबलपुर के बीच की शटल और फास्ट पैसिंजर ट्रेनें लगभग दो तीन साल पहले बंद हो चुकी हैं। लोगों की मांग के बावजूद इन ट्रेनों को अब तक शुरू नहीं किया गया है। इसके कारण श्रीधाम स्टेशन के यात्रियों के लिए जबलपुर और इटारसी के बीच का सफर मुश्किल साबित हो रहा है।
इन दोनों ट्रेनों को दोबारा से शुरू कराए जाने को लेकर गोटेगांव क्षेत्र से उठ रही मांग के बावजूद इनके संचालन को लेकर रेलवे की खामोशी नागरिकों के बीच आक्रोश पैदा कर रही है। वहीं दूसरी ओर बंद की गई ट्रेनों की जगह दी गई वैकल्पिक मेमू ट्रेन में सीमित बोगियां यात्रियों के लिए मुसीबत का कारण बन रही हैं।
नहीं मिल रही बैठने के लिए सीट
यात्रियों का कहना है कि सुबह-सुबह चलने वाली इन दोनों गाड़ियों से हर वर्ग को राहत थी।
एक्सप्रेस का किराया देने के बाद भी यात्रियों को बैठने के लिए सीट भी नहीं मिल रही है।
शिकायत है कि सीट नहीं मिलने से सवारियों को अपना पूरा सफर खड़े-खड़े ही करना पड़ रहा है।
अब हालत यह है कि इस पूरे सफर में एक ओर जहां यात्री रेलवे, जन प्रतिनिधियों को कोसते हैं
दूसरी ओर मेमू की बोगियों में रेलमपेल के बीच मुश्किल सफर करने मजबूर यात्री नजर आते हैं।
उल्लेखनीय है कि इटारसी से कटनी के लिए पूर्व में दो पैसेंजर गाड़ियां शटल और फास्ट चलाई जाती थीं।
सात बोगी की मेमू में दो ट्रेनों की सवारी.
शटल व फास्ट पैसेंजर में 14 डिब्बे होते थे। रेलवे ने 14-14 डिब्बों की दो गाड़ियां बंद कर उनकी जगह एक गाड़ी चला दी। अंदाजा लगाया जा सकता है, कि 28 डिब्बों के यात्री 7 डिब्बों में कैसे समाते होंगे। पर मरता क्या न करता की तर्ज पर लोग मजबूरी में इस गाड़ी से यात्रा करने के लिए बाध्य हो रहे हैं।
स्टेशन पर मारामारी के हालात
हालात ये हैं, कि लोगों को गाड़ी के अंदर घुसने और गाड़ी से उतरने में स्टेशन पर मारामारी का सामना करना पड़ता है। गोटेगांव, करकबेल के यात्रियों के पास सुबह की मेमू के अलावा आने जाने के लिए अन्य कोई विकल्प नहीं रहता है। मुख्यालय स्तर से भी इन ट्रेनों को शुरू कराने के लिए पहले हुई रेलवे की जोनल बैठक में मांग की जा चुकी है। लेकिन इस सारी कवायद का नतीजा नहीं निकला है। जिसके परिणाम स्वरूप क्षेत्र के रहवासियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है।