जन-औषधि केंद्रों पर मरीजों को ब्रांडेड दवाओं के मुकाबले बेहद सस्ती दरों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध होती हैं। इससे उनके चिकित्सा खर्चों में काफी बचत होगी। प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में जन-औषधि केंद्र खुलने से ज्यादा से ज्यादा संख्या में मरीज इस सुविधा का लाभ ले सकेंगे।
भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में मुख्य कार्यक्रम।
वर्ष 2008 में शुरू हुई थी पीएम जन-औषधि केंद्र परियोजना।
फिलहाल प्रदेश में 500 से अधिक जन-औषधि केंद्र संचालित।
भोपाल। प्रदेश सभी जिला चिकित्सालयों में प्रधानमंत्री जन-औषधि केंद्र खोले जा रहे हैं। इन केंद्रों पर लोगों को गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयां बेहद सस्ती कीमतों में उपलब्ध होंगी। भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे में मुख्य कार्यक्रम होगा। राज्यपाल मंगुभाई पटेल और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इन जन-औषधि केंद्रों का शुभारंभ करेंगे। उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा राज्य मंत्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल, नगरीय विकास एवं आवास राज्यमंत्री श्रीमती प्रतिमा बागरी, पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री श्रीमती राधा सिंह भी कार्यक्रम में मौजूद रहेंगी।
प्रधानमंत्री जन-औषधि केंद्र परियोजना का शुभारंभ वर्ष 2008 में सस्ती और गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किया गया था। वर्ष 2015 के बाद से इस योजना में और गति आयी। इसका उद्देश्य पूरे देश में सस्ती दवाइयों की पहुंच को व्यापक बनाना था। वर्तमान में इस परियोजना में देश में प्रधानमंत्री भारतीय जन-औषधि केंद्र खोले जा रहे हैं, जिससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लोग सस्ती जेनेरिक दवाओं का लाभ उठा सकें।
500 से अधिक जन-औषधि केंद्र खुले
वर्तमान में मध्य प्रदेश में 500 से अधिक जन औषधि केंद्र कार्यरत हैं, जो प्रदेश के विभिन्न जिलों में संचालित हैं। ये केंद्र शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में स्थापित किए गए हैं। इन केंद्रों के माध्यम से प्रतिदिन हजारों लोग सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाइयां खरीद रहे हैं। उनके मासिक चिकित्सा खर्चों में बड़ी बचत हो रही है। अब सभी जिला चिकित्सालयों में भी प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र खोले जा रहे हैं।
जन-औषधि केंद्र खुलने से ये फायदे
सभी को सस्ती दरों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध होंगी। मरीजों को ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 50% से 90% तक कम दाम पर दवाइयां मिलेंगी।
इससे लोगों के मासिक चिकित्सा खर्चों में बड़ी बचत होगी। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होगी।
सस्ती और सुलभ दवाओं के माध्यम से लोग अपने उपचार को निरंतर जारी रख सकेंगे, जिससे स्वास्थ्य परिणामों में सुधार आएगा। खासकर मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग जैसी पुरानी बीमारियों के प्रबंधन में जन-औषधि केंद्र अहम भूमिका निभाएगा।
जन-औषधि केंद्र के माध्यम से जेनेरिक दवाओं की गुणवत्ता और प्रभावशीलता को लेकर जागरूकता बढ़ेगी, जिससे लोग ब्रांडेड दवाओं पर निर्भरता कम करेंगे और सस्ती जेनेरिक दवाओं को अपनाएंगे।
स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे। प्रत्येक केंद्र के चालन के लिए फार्मासिस्ट और अन्य कर्मचारी आवश्यक होंगे, जिससे राज्य में नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।