अयोध्या में ठीक एक साल पहले श्रीरामलला प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम हुआ था। दुनियाभर के करोड़ों सनातनी इस पल के साक्षी बने थे। लोगों ने नम आंखों से राम लला की पहली आरती की थी। यहां जानिए राम मंदिर निर्माण से जुड़ी बातें और इसका राष्ट्रीय महत्व।
22 जनवरी 2024 को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद आरती करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
पुरंदर मिश्रा (विधायक रायपुर-उत्तर विधानसभा क्षेत्र)। विगत वर्ष हिंदू पंचांग के अनुसार 22 जनवरी को पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मेष लग्न और अभिजीत मुहूर्त में श्रीरामलला प्राण प्रतिष्ठा का कार्य पूरा हुआ था। पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित के द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्य यजमानी एवं देश के विख्यात जनो के सानिध्य में अनुष्ठान संपन्न हुआ था। आज श्रीरामलला प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव वर्षगांठ है।
श्री राम मंदिर का निर्माण एक लंबी ऐतिहासिक और कानूनी प्रक्रिया के बाद संभव हो पाया है। सदियों पुराने विवाद को सुप्रीम कोर्ट ने नौ नवंबर 2019 के ऐतिहासिक फैसले के जरिए सुलझाया। इस निर्णय ने न्यायपालिका के प्रति देश की आस्था को और मजबूत किया और विवाद की जगह पर भव्य मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया।
कोर्ट का फैसला, सरकार की भूमिका…और राम मंदिर निर्माण
श्री राम मंदिर अयोध्या के निर्माण में मोदी सरकार की भूमिका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों रूपों में महत्वपूर्ण रही है। सरकार ने इस ऐतिहासिक परियोजना के सफल क्रियान्वयन के लिए विभिन्न स्तरों पर योगदान दिया है।
ट्रस्ट में दक्ष प्रशासनिक अधिकारी. विधि विशेषज्ञ, सनातनी धर्माचार्य और लब्ध प्रतिष्ठ जन शामिल हुए, जो मंदिर निर्माण से संबंधित सभी गतिविधियों का प्रबंधन कर रहा है। ट्रस्ट को भूमि सौंपने, निर्माण कार्य, चंदा संग्रह का दायित्व सौंपा गया है।
अयोध्या के समग्र विकास के लिए मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने कई योजनाओं की शुरुआत की। अयोध्या में राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास, रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डे का विस्तार,होटल, धर्मशालाएं, श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं का निर्माण किया।
5 अगस्त को 2020 को भूमि पूजन के पश्चात मंदिर आकार लेने लगा। सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकार अरुण योगीराज ने रामलला की मूर्ती को कृष्ण शिला ( शालिग्राम पत्थर) से भगवान राम की 51 इंच की 5 वर्ष के बाल स्वरूप को आकार दिया।
राम मंदिर निर्मित क्षेत्रफल 57,400 वर्ग फुट है। मंदिर 360 फीट लंबा, 235 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा है। राम मंदिर का स्थापत्य नागर शैली का अनुसरण करता है, जो जटिल शिल्प कौशल और डिजाइन का दर्पण प्रस्तुत करता है।
ऊंचे शिखर मंदिर की भव्यता में चार चांद लगाते हैं। निर्माण प्रक्रिया में पारंपरिक और आधुनिक तकनीकों का मिश्रण विरासत और प्रगति के सम्मिश्रण का प्रतीक है। यह मंदिर हिंदुओं के लिए एक महान तीर्थ स्थान है।
वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा की भूमिका
अयोध्या राम मंदिर के मुख्य वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा, अहमदाबाद स्थित मंदिर वास्तुकारों के एक प्रतिष्ठित वंश से हैं। कई पीढ़ियों से चली आ रही पारिवारिक विरासत के साथ, सोमपुरा ने 200 से अधिक मंदिरों का डिजाइन और निर्माण करके भारतीय मंदिर वास्तुकला पर एक अमिट छाप छोड़ी है।
राजस्थान के गुलाबी बलुआ पत्थरों से निर्मित यह मंदिर भारतीय शिल्पकला की उत्कृष्टता को दर्शाता है। श्रीराम मंदिर का निर्माण न केवल अतीत की परंपराओं को पुनर्जीवित करता है, बल्कि यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेगा।
यह मंदिर भारत के गौरवशाली अतीत, उसके मूल्य और उसकी सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बनेगा। श्रीराम मंदिर न केवल हिंदू समाज, बल्कि पूरे देश के लिए आस्था का केंद्र है। यह मंदिर राष्ट्रीय एकता और सद्भाव का संदेश भी देता है।
यह मंदिर हमें धर्म, संस्कृति और मर्यादा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। इसके उद्घाटन के साथ, अयोध्या का गौरव और भारत की सांस्कृतिक एकता एक नई ऊंचाई पर पहुंच जाएगी। “जय श्रीराम!”