Sunday, January 26, 2025
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छिंदवाड़ा में 36 हजार की रिश्वत लेते बीईओ रजनी अगामे आई पकड़ में

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में विकास खंड शिक्षा अधिकारी रजनी अगामे को लोकायुक्त पुलिस की टीम ने 36 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा है। अधिकारी ने 12 छात्रावास के अधीक्षकों से कमिशन में कुल 96 हजार रुपये देने की मांग की थी।

जबलपुर लोकायुक्त पुलिस टीम पहुंची कार्रवाई करने।

  1. 50 सीट के छात्रावास से 3 हजार रुपये।
  2. 100 सीट के छात्रावास से 6 हजार मांगे।
  3. पहली किस्त में 31 हजार रुपये ले रही थी।

छिंदवाड़ा जिले में भ्रष्टाचार के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। विकास खंड शिक्षा अधिकारी, बिछुआ रजनी अगामे को 36 हजार की रिश्वत लेते हुए लोकयुक्त की टीम ने रंगे हाथों पकड़ा है। आवेदक रमेश पराड़कर (54), अधीक्षक, शासकीय बालक छात्रावास, धनेगांव, विकास खंड बिछुआ की शिकायत पर ये कारवाई हुई है।

आवेदक के अनुसार उसके और विकासखंड बिछुआ के 12 छात्रावास अधीक्षकों से 50 सीटर के कमीशन की राशि 3000 रुपये प्रतिमाह और 100 सीटर के कमीशन की राशि 6000 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से सितंबर व अक्टूबर माह की कमीशन की कुल राशि 96000 रिश्वत की मांग की जा रही थी।

जबलपुर लोकायुक्त पुलिस को की शिकायत

जिसकी शिकायत आवेदक द्वारा पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त जबलपुर को की गई। शिकायत के सत्यापन के लिए रिकॉर्डिंग कराई गई। इसमें रजनी अगामे रिश्वत की प्रथम किश्त 31000 रुपए लेने को तैयार हो गई थी।

मंगलवार को आरोपित रजनी अगामे, विकास खंड शिक्षा अधिकारी, बिछुआ के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम 2018 की धारा-7, के अंतर्गत कार्रवाई की गई। कार्रवाई करने पहुंची टीम में इंस्पेक्टर रेखा प्रजापति, इंस्पेक्टर मंजू किरण तिर्की, इंस्पेक्टर कमल सिंह उईके और लोकायुक्त जबलपुर का दल शामिल रहा था।

विवादित रहा है कार्यकाल

रजनी अगामे का कार्यकाल विवादित रहा है। वो पहले भी मंडल संयोजक के पद पर रहते हुए दो बार निलंबित हो चुकी हैं।

इधर… 10 सालों से मुआवजे के लिए भटक रहा किसान

छिंदवाड़ा-नरसिंहपुर नेशनल हाईवे को बने हुये लगभग 11 वर्ष हो चुके हैं लेकिन मुआवजा प्राप्त करने के लिए किसान अभी भी दर-दर भटक रहे हैं। तेंदनीमाल निवासी चिमौआ के कृषक दरबारी सिंह वर्मा ने जानकारी देते हुये बताया कि उनकी ग्राम चिमौआ में रकबा 0.120 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित कर उसका मुआवजा 75,280 रूपये निर्धारित किया गया।

किसान की अधिग्रहित भूमि के रकबे से दुगुने रकबे में सड़क बनाई गई और किसान का खेत दो भागों में विभक्त कर दिया गया, आवेदक की भूमि सिंचित के स्थान पर असिंचित बताई गई, और असिंचित का मुआवजा बनाया गया।

कृषक दरबारी सिंह ने बताया कि उसने इसकी जांच करवाकर कार्रवाई कर उसे बड़ा हुआ मुआवजा देने की मांग की लेकिन उसे न्याय प्राप्त नहीं हुआ। किसान ने न्यायालय में उपस्थित होकर मुआवजा प्राप्त करने के लिए आवेदन प्रेषित किया। अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

SourceNaidunia
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