उज्जैन में आवारा कुत्तों का आतंक खत्म नहीं हो रहा है। यहां डॉग बाइट के केस लगातार सामने आ रहे हैं। 17 साल के सोनू शर्मा को कुत्ते ने काटा था, इसके बाद अस्पताल में उसका इलाज चला। इस दौरान अचानक ही उसकी तबीयत बिगड़ी और मौत हो गई।
उज्जैन में लगातार सामने आ रही आवारा कु्तों के हमले की घटनाएं।
हाकाल मंदिर में भी कुत्तों के हमले का शिकार हुए श्रद्धालु।
उज्जैन में शहर में बढ़ते जा रही है आवारा कु्त्तों की संख्या।
यहां कुत्तों के आतंक का मामला विधानसभा में भी उठा था।
उज्जैन में कुत्ते के काटने के के 20 दिन बाद गणेश नगर में रहने वाले एक किशोर की मौत हो गई है। किशार का नाम सोनू शर्मा (17) है।
बताया गया है 20 दिन पहले उसे आवारा कुत्ते ने काट लिया था। उपचार के लिए जिला अस्पताल फिर पुष्पा मिशन अस्पताल, इंदौर एमवाय अस्पताल में भर्ती कराया था।
कुछ दिन बाद अचानक तबियत बिगड़ी और 6 सितंबर को उसकी मौत हो गई। सोनू, परिवार के भरण-पोषण में पिता का हाथ बंटाता था। क्षेत्र में आवारा कुत्तों की संख्या काफी हो गई है, जो आए दिन लोगों पर हमला करते हैं।
उज्जैन में लगातार बढ़ रही घटनाएं
बता दें कि उज्जैन शहर में डॉग बाइट की बढ़ती घटनाओं पर लगाम नहीं लग पा रही रही हैं। आए दिन यहां कोई न कोई कुत्तों के हमलों का शिकार हो रहा है। बीते दिनों में महाकाल के दर्शन करने आए कुछ श्रद्धालु भी कुत्तों के हमलों का शिकार हुए। मामला, विधानसभा में भी पहुंचा।
एक शासकीय रिपोर्ट के अनुसार बीते पांच साल में कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने के लिए सरकार ने यहां जितने कुत्तों की नसबंदी कराई, उसके मुकाबले साल दर साल कुत्तों को काटने के केस बढ़ते ही चले गए।
टीकाकरण पर करोड़ों रुपये खर्च
आंकड़ों पर नजर डाले तो उज्जैन नगर निगम ने इनकी संख्या सीमित करने को 15235 कुत्तों की नसबंदी की। इस अवधि में डॉग बाइट के 24901 केस हुए। दोनों ही मामलों में ‘टीकाकरण’ पर सरकार को करोड़ों रुपये खर्च करना पड़े।
नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी संजय कुलश्रेष्ठ का कहना है एक कुत्ते का बधियाकरण यानी नसबंदी करने पर 1200 रुपये से अधिक खर्च होते हैं। नसबंदी के लिए जिस क्षेत्र से डॉग पकड़ा जाता है, उसे नसबंदी करने के बाद वहीं छोड़ा जाता है।