Friday, September 20, 2024
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इंदौर के एमवाय अस्पताल में शाम की OPD में होगा मरीजों का इलाज, जांच और दवाई Free

इंदौर के शासकीय अस्पताल MY में अब शाम 4-6 बजे ओपीडी शुरू होगी। शुल्क 600 रुपये रहेगा, जिसमें दवाई और जांच मुफ्त होंगी। शुल्क से डॉक्टर, नर्स और तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को भुगतान होगा।

शाम 4-6 बजे शुरू होगी शासकीय अस्पताल की ओपीडी

ओपीडी शुल्क 600 रुपये, मरीजों को दवाई और जांच मुफ्त

मिर्गी मरीजों के लिए 20 लाख रुपये की वीडियो ईईजी मशीन

शासकीय अस्पताल एमवाय में अब तक सुबह ही मरीजों को ओपीडी की सुविधा मिलती है। लेकिन अब शाम में भी मरीजों को ओपीडी की सुविधा मिलने लगेगी। इसके लिए सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल द्वारा प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया है। यहां ओपीडी का समय शाम चार से छह बजे तक रहेगा।

शाम की ओपीडी में विभिन्न विशेषज्ञ मरीजों का इलाज करेंगे। इस विशेष ओपीडी का शुल्क 600 रुपए प्रस्तावित है। यह प्रस्ताव कॉलेज की ईसी की बैठक में पेश किया था, जिसे मंजूरी मिल गई है। जिसके बाद शासन को भेजा गया। खासबात है कि मरीजों को यहां दवाई और जांच का कोई शुल्क नहीं देना होगा। सभी जांचे यहां निश्शुल्क होगी।

600 रुपए फीस, जांच और दवाई मुफ्त

वर्तमान में शाम के समय विशेषज्ञों को दिखाने के लिए मरीजों के पास निजी क्लिनिक या अस्पताल ही विकल्प रहता है। ऐसे में उन्हें डॉक्टर की फीस और जांच के लिए मोटी रकम चुकाना पड़ती है लेकिन अब यहां इन्हें सिर्फ डॉक्टर की फीस ही देना होगी। मरीजों से मिलने वाले शुल्क से 300 रुपये डॉक्टर को मिलेंगे। 100 रुपये नर्सिंग स्टाफ को और 50 रुपये तृतीय श्रेणी कर्मचारी को दिए जाएंगे। वहीं 150 रुपये प्रशासनिक राजस्व में जमा होगें।

मिर्गी के मरीजों के लिए भी मशीन

अस्पताल के न्यूरोलाजी विभाग में वीडियो ईईजी मशीन खरीदी जाएगी। यह करीब 20 लाख रुपये की होगी। इससे मिर्गी के मरीजों के दिमाग की वीडियो ईईजी हो सकेगी। इससे दौरे के दौरान और बाद के मस्तिष्क में होने वाले परिवर्तन की डॉक्टर मानिटरिंग कर सकेंगे। साथ ही इससे उपचार के निष्कर्ष तक पहुंचने में भी मदद मिलेगी।

पूर्व में भी भेजे जा चुके हैं प्रस्ताव

बता दें कि शाम की ओपीडी संचालित करने के लिए पूर्व में भी प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं। इसमें एमवाय अस्पताल की ओपीडी भी शामिल थी। लेकिन यह कागजों से आगे नहीं बढ़ सका। क्योंकि कई विशेषज्ञ निजी अस्पतालों में भी प्रैक्टिस करते हैं, जहां उन्हें ज्यादा शुल्क मिलता है। लेकिन सुपर स्पेशिएलिटी के विशेषज्ञों को निजी प्रैक्टिस की अनुमति नहीं रहती है, इसलिए योजना सफल हो सकती है।

SourceNaidunia
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