यह शहर केवल पारंपरिक व्यंजन का ही दीवाना नहीं है, बल्कि यहां चॉकलेट के शौकीनों की भी भरमार है। प्रदेश की आर्थिक राजधानी के विकास की खुशी में अब चॉकलेट की मिठास और भी इजाफा कर रही है। त्योहार के मौसम में तो मिठाई से ज्यादा चॉकलेट ही भेंट में दी जाने लगी है।
रोजाना इंदौर में होता है 40 टन चॉकलेट का उत्पादन।
सालभर में होता है करीब 288 करोड़ रुपये का बिजनेस।
शहर के 30 से अधिक कारखानों में बन रही है चॉकलेट।
इंदौर। कॉर्पोरेट गिफ्ट के गुडी बैग हो या दोस्तों को दिए जाने वाले तोहफे। सबमें अब चॉकलेट अपनी पैठ बना चुकी है। एक दौर था, जब इंदौर में कुछ एक ही कंपनी चुनिंदा चॉकलेट मिलती थीं। मगर, वर्तमान में नामी कंपनियों से लेकर विदेश की चॉकलेट की कई वैरायटी शहर में आसानी से मिल जाती है।
इंदौर में 30 से अधिक कारखानों में चॉकलेट निर्माण हो रहा है। हर दिन 40 टन चॉकलेट का उत्पादन किया जा रहा है। वर्षभर में शहर में दो अरब 88 करोड़ रुपये का व्यवसाय हो रहा है। बात अगर शहर में ही चॉकलेट की खपत की करें तो 80 लाख रुपये से अधिक की चॉकलेट प्रतिदिन बिक जाती है।
अब गांवों में भी मिलती हैं कई वैरायटी
जो चॉकलेट केवल आयात की जाती थी, वही चॉकलेट अब इंदौर में आसानी से उत्पादित की जा रही है। पहले चॉकलेट शहर तक ही सीमित थी, लेकिन ग्रामीण अंचल में भी चॉकलेट की कई वैरायटी मिल जाती है।
चॉकलेट खपत और उत्पादन के अलावा शहर में कई स्थानों पर चॉकलेट बनाने के लिए सेमिनार भी आयोजित होते रहते हैं। पिछले कुछ वर्षों में इंदौर में तेजी से चॉकलेट के कारखाने खुले हैं। वर्तमान में 30 चॉकलेट कारखाने चल रहे हैं।
यहां रोजाना करीब 40 टन चॉकलेट का उत्पादन होता है। इंदौर से 80 लाख रुपये की चॉकलेट बिकती हैं। वहीं महीने में यह आंकड़ा 24 करोड़ रुपये हो जाता है। चॉकलेट व्यवसाय का सालाना टर्नओवर दो अरब 88 करोड़ रुपये से अधिक है।
तनाव और डिप्रेशन कम करती है चॉकलेट
चॉकलेट खाने से तनाव और डिप्रेशन कम होता है। साथ ही ब्लड प्रेशर कम होने की स्थिति में चॉकलेट खाने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में आ जाता है। चॉकलेट में एंटी आक्सीडेंट होते हैं, जो त्वचा की झुर्रियां कम करते हैं। इससे त्वचा जवान नजर आती है। इसीलिए आजकल चॉकलेट का प्रयोग फेशियल, फेस पैक और वैक्स में किया जा रहा है। इसके अलावा हृदय रोग, याददाश्त, कोलेस्ट्राल में चॉकलेट फायदा करती है। – डॉ. संजय दुबे, एमवायएच के एमडी मेडिसिन
बदलने लगा चॉकलेट का उपयोग
एक दौर में चॉकलेट यानी रैपर में बंद खाद्य पदार्थ, लेकिन बदलते दौर के साथ ही चॉकलेट का उपयोग भी बदल गया है। अब चॉकलेट में कई वैरायटी में आ रही हैं। चॉकलेट का लिक्विड में भी काफी प्रयोग हो रहा है। कई व्यंजनों का उपयोग भी तेजी से बढ़ने लगा है।
एक चॉकलेट व्यापारी ने बताया कि लोग चॉकलेट को शुरुआत से ही पसंद कर रहे हैं, लेकिन अब पैकेजिंग पर भी खास ध्यान देते हैं। इसके लिए कंपनियां कई प्रकार के प्रयोग कर रही हैं। कई लोग वर्षगांठ, जन्मदिन, शादी व अन्य उत्सव के दौरान अपने हिसाब से पैकेजिंग कराते हैं।
गिफ्ट में भी पहली पसंद चॉकलेट
पहले लोग उपहार में खिलौने, फोटो फ्रेम, कोई सजावट का समान देना पसंद करते थे। मगर, पिछले कुछ वर्षों में गिफ्ट में चॉकलेट का उपयोग बढ़ते जा रहा है। जन्मदिन, शादी, रिसेप्शन, वर्षगांठ आदि उत्सव में भी उपहार में चॉकलेट देने का चलन बढ़ गया है।
विदेश से आता है कोको पाउडर
उद्योगपतियों के अनुसार, शहर में चॉकलेट बनाने के जो कारखाने चल रहे हैं, वहां विदेश से कोको पाउडर आता है। यह पाउडर इंडोनेशिया, ब्राजील, स्विट्जरलैंड आदि से मंगवाया जाता है। अन्य सामग्री भारत में ही उपलब्ध हो जाती है।
मशीनों से होता है अधिकांश काम
कन्फेक्शनरी एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश चौधरी ने बताया कि वर्तमान में चॉकलेट निर्माण पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। इंदौर में तेजी से बढ़ रहे कारखानों के चलते यह बड़ा उद्योग क्षेत्र हो गया है। इन कारखानों में अधिकांश काम मशीनों से होता है। जिससे साफ-सफाई बनी रहती है। बेहतर क्वालिटी के साथ ही बेहतर पैकजिंग पर ध्यान दिया जा रहा है।