मामला मध्य प्रदेश के सागर से 25 किमी दूर नरयावली विधानसभा के मैहर पंचायत के आदिवासी मुहाल नारायणपुरा का है। यहां पंचायत के बोर का पानी का उपयोग करने से बड़ी संख्या में लोग बीमार हो गए। बाद में मेहन निवासी 40 वर्षीय लल्लन बंसल की इलाज के दौरान मौत हो गई। करीब एक दर्जन से मरीजों की हालत गंभीर बनी हुई है। इनमें बच्चे भी शामिल हैं।
मेहर गांव स्थित पंचायत के बोर का दूषित पानी पीने से गांव के 100 से अधिक लोग बीमार हो गए हैं। दूषित पानी के चलते हुई उल्टी दस्त से एक शख्स की मौत भी हो गई है। रात भर बीएमसी और जिला अस्पताल में बीमार ग्रामीणों के आने का सिलसिला जारी रहा। वहीं जिला अस्पताल और मेडिकल कालेज में भर्ती मरीजों की संख्या सौ से ऊपर पहुंच चुकी है। करीब एक दर्जन से अधिक मरीजों की हालत गंभीर बनी हुई है। इनमें बच्चे भी शामिल हैं।
शुक्रवार को कलेक्टर दीपक आर्य मेहर गांव पहुंचे और उप-स्वास्थ्य केंद्र में जाकर बीमार ग्रामीणों का हाल-चाल जाना। उन्होंने दूषित पानी के ट्यूबवेल को सात दिन के लिए बंद करने का निर्देश दिया। उन्होंने बताया कि टीम बुलाकर सर्वे कराया जा रहा है। बीमार बच्चों को तत्काल इलाज मुहैया कराया जा रहा है। गांव में दो एंबुलेंस भी बुलवा ली गई हैं।
जानकारी के अनुसार जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर नरयावली विधानसभा के मेहर पंचायत के आदिवासी मुहाल नारायणपुरा में लगे पंचायत के बोर का पानी पीने से बुधवार को रविदास मंदिर के पास रहने वाली नेहा बंसल को रात में उल्टियां हुई। पहले तो परिवार वालों ने बोर के पानी पर संदेह न करते हुए अन्य कारण माना और नेहा को जिला अस्पताल में भर्ती कराया। इसके बाद दूसरे दिन गुरुवार की सुबह नेहा के घर के ही सात लोगों को भी उल्टियां और दस्त होने लगे।
देखते ही देखते गांवभर के लोग बीमार होने लगे। स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ग्रामीण गए तो वहां के डाक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए, जिसके बाद सब पीड़ितों को जिला अस्पताल लाया गया। गुरुवार दोपहर तक उल्टी-दस्त से पीड़ित मरीजों संख्या 70 तक पहुंच गई। जिला अस्पताल में मरीजों के लिए पलंग कम पड़ गए, , जिसके बाद आने वाले मरीजों को बीएमसी में भेजा गया।
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