Thursday, September 19, 2024
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इंदौर के आश्रम में अधिकारी जांच में उलझे रहे और इधर दम तोड़ते रहे बच्चे

मध्य प्रदेश में इंदौर के आश्रम में पांच मानसिक दिव्यांग बच्चों की मौत के मामले में प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। जिन अधिकारियों आश्रम की जांच और बच्चों को अस्पताल भेजने की जिम्मेदारी दी गई थी वो केवल जांच में ही उलझे रहे। जांच के दौरान ही दो बच्चों ने दम तोड़ दिया।

इंदौर के पंचकुइया स्थित युगपुरुष धाम में रहने वाले बच्चों की एक के बाद एक मौत के बाद प्रशासन हरकत में आया। कलेक्टर आशीष सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अपर कलेक्टर राजेंद्र रघुवंशी, मल्हारगंज एसडीएम ओमप्रकाश नारायण बड़कुल, महिला एवं बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग की टीम को आश्रम में जांच के लिए भेजा।

आश्रम पहुंचे अधिकारी जांच में उलझे रहे और दूसरी तरफ बच्चे दम तोड़ते रहे। अधिकारियों ने बच्चों के उपचार के प्रबंध पर ध्यान नहीं दिया। जांच के दौरान ही आश्रम में दो बच्चों ने दम तोड़ दिया। सुबह 12, दोपहर में सात और शाम को 11 बच्चों को हास्पिटल पहुंचाया गया।

वहीं देर रात तबियत बिगड़ने पर दो बच्चों को फिर हॉस्पिटल भेजा गया। युगपुरुष धाम आश्रम प्रबंधन की लापरवाही के कारण बच्चों को समय पर उपचार नहीं मिल सका। 30 जून को आश्रम में एक बच्चे की मौत हो गई थी, लेकिन इसे सामान्य मौत माना।

इसी रात करण नामक बालक के उपचार के लिए आश्रम प्रबंधन एमवाय हॉस्पिटल पहुंचा, लेकिन उसकी मौत हो गई। आश्रम प्रबंधन ने इसकी पुष्टि वरिष्ठ अधिकारियों को देने के बजाय विभाग के वॉट्सएप ग्रुप पर जानकारी साझा कर दी। मामले की जानकारी कलेक्टर आशीष सिंह को लगी तो उन्होंने बच्चों को चाचा नेहरू हास्पिटल में भर्ती कराया।

सुबह 12 बच्चों को चाचा नेहरू हास्पिटल में भर्ती कराया गया था। जबकि अन्य बच्चों को भी दस्त और उल्टी की समस्या थी। इसमें दो बच्चों की मौत होने के बाद फिर 20 बच्चों को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। सुबह की जांच के बाद बच्चों को हॉस्पिटल में भर्ती कराने में लापरवाही बरती गई।

आश्रम में सभी बच्चों का प्रत्येक माह स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। 27 जून को जिला हॉस्पिटल के डा. एके पांडे ने आश्रम पहुंचकर सभी बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया था। इसमें सभी की जांच की गई थी, इस दौरान किसी को कोई परेशानी नहीं थी। महू सिविल हॉस्पिटल के मनोचिकित्सक डा. मधुकर शुक्ला भी समय-समय पर आश्रम आकर जांच करते हैं। आश्रम के 51 बच्चों को मिर्गी की दवाई दी जा रही थी।

महिला व बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी आरएन बुधोलिया ने बताया कि युगपुरुष संस्था को हर माह 100 बच्चों के लिए करीब तीन हजार रुपये प्रति बच्चे के हिसाब से राशि जारी की जाती है।

साथ ही महिला बाल विकास और सामाजिक न्याय विभाग के अलग-अलग दलों द्वारा हर तीन माह में एक बार जांच भी की जाती है। हर माह दो बार डाक्टरों की टीम द्वारा बच्चों का स्वास्थ्य चेकअप किया जाता है। किसी तरह की बीमारी होने पर इलाज किया जाता है। किसी तरह की स्वास्थ्य मदद के लिए फोन पर 24 घंटे डॉक्टर उपलब्ध रहता है। जरूरत पर होने पर डॉक्टर आश्रम आकर भी बच्चों की जांच करता है।

आश्रम की संचालिका डा. अनीता शर्मा ने बताया कि बच्चों को हर रात दाल-चावल या खिचड़ी ही दी जाती थी। 30 जून खिचड़ी और कड़ी दी गई थी। सोमवार रात को भी खिचड़ी दी गई थी। बच्चों की तबियत बिगड़ने पर प्रशासन ने आश्रम में बनने वाले भोजन पर प्रतिबंध लगा दिया है।

इस बात की आशंका भी है कि दूषित पानी पीने से बच्चों की तबियत बिगड़ी हो। आश्रम के आरओ की कई दिनों से जांच नहीं करवाई गई है। बच्चे बोरिंग का पानी ही पीते हैं। आशंका है कि कुछ दूर बह रहे नाले के पानी से आश्रम के बोरिंग का पानी दूषित हो गया हो और आरओ का दूषित पानी बच्चों ने पीया होगा।

मल्हारगंज पुलिस ने मामले में पांच अलग-अलग मर्ग कायम किए हैं। मंगलवार को ही पुलिस ने आश्रम जाकर खाद्य सामग्री (दाल-चावल)की जब्ती कर ली। मौत के कारणों की जांच के लिए विसरा की जांच करवाई जा रही है। डीसीपी जोन-1 विनोद कुमार मीना के मुताबिक घटना की शुरुआत 30 जून से हुई है।

पुलिस ने सभी बच्चों की मौत की जांच शुरू कर दी है। पांचों बच्चों की मौत के मामले में पांच मर्ग कायम किए गए है। पुलिस को जानकारी मिली कि आश्रम में आरओ बंद था। इससे दूषित पानी की संभावना जताई जा रही है। फिलहाल पीएम रिपोर्ट और खाद्य विभाग की जांच रिपोर्ट का इंतजार है।

आश्रम संचालिका डा. शर्मा ने बताया कि वर्तमान में आश्रम की शुरुआत 2006 में की थी। वर्तमान में 112 बालक और 89 बालिकाएं हैं। सभी मानसिक रूप से बीमार हैं। इन बच्चों की सेवा के लिए 38 लोगों का स्टाफ लगा रहता है। 100 बच्चों के लिए वित्तीय मदद महिला बाल विकास विभाग से मिलती है। वहीं अन्य बच्चों की मदद के लिए ट्रस्ट के माध्यम से जनसहयोग से राशि जुटाई जाती है।

सुबह से शाम तक आश्रम से 32 बच्चे भर्ती हुए हैं, जिसमें से तीन की स्थिति गंभीर है। इलाज किया जा रहा है। अभी तक कारण फूड पाइजनिंग लग रहा है, लेकिन जांच रिपोर्ट आने के बाद ही असल कारण पता चल सकेगा। 

आश्रम में प्रदेश भर के बच्चे आते हैं। सभी बच्चे मानसिक रूप से बीमार हैं। बच्चों की मौत का कारण जांच के बाद ही पता चल पाएगा। जो बच्चे अस्पताल में भर्ती हैं, सभी की हालत में सुधार है। आश्रम में साफ पानी के लिए आरओ भी चालू हालत है। 

दो बच्चों की शार्ट पीएम रिपोर्ट आ गई है, जिसमें कार्डियक अरेस्ट से मौत होना पता चला है, लेकिन फाइनल पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा। विसरा रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। 




SourceNaidunia
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