Thursday, September 19, 2024
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आटा-दाल और आलू-प्याज के बढ़ते दाम ने महंगी कर दी खाने की थाली

 इंदौर सहित प्रदेश के अन्य शहरों में तुअर दाल के रेट 200 रुपये पहुंच गए हैं, वहीं आटा 3 हजार रुपये क्विंटल बिक रहा है। पिछले दो दिन में ही आटे के रेट 50 रुपये बढ़े हैं। वहीं आलू और प्याज 35 से 40 रुपये किलो बिक रहे हैं। खाद्य सामग्री की बढ़ती कीमतों ने लोगों का बजट बिगाड़ दिया है।

राशन और सब्जियों की बढ़ती कीमतों से आम आदमी के रसोई का बजट गड़बड़ा गया है। आटा-दाल और सब्जियों की महंगाई मध्यमवर्ग को खासा परेशान कर रही है। मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा उपयोग की जाने वाली तुवर दाल 200 रुपये किलो तक बिक रही है और मूंग दाल भी सवा सौ रुपये की सीमा को लांघ चुकी है।

गर्मी का मौसम नए गेहूं की आवक का होता है, लेकिन इस मौसम में महंगे हुए आटे ने भी लोगों को परेशान कर दिया है। थाली को मंहगी करने में आलू-प्याज भी आटे-दाल का साथ बखूबी निभा रहे हैं। हालांकि तेल और शक्कर ने कुछ राहत दी है।

मंगलवार को  इंदौर के खेरची बाजार में सामान्य क्वालिटी का आटा 30 से 31 रुपये किलो और मध्यम क्वालिटी के आलू-प्याज भी 35-40 रुपये किलो बिके। बीते साल इन्हीं दिनों से तुलना की जाए तो सामान्य थाली की महंगाई लोगों को हैरान कर रही है।

बीते जून में  इंदौर और प्रदेश के आम खेरची बाजार में गेहूं का आटा 27 रुपये प्रति किलो जबकि दालें 80 से 150 रुपये प्रति किलो के दाम पर बिक रही थी। आम चुनाव के मौसम में खाद्य पदार्थों की बढ़ी हुई महंगाई सिस्टम पर भी सवाल खड़ा कर रही है। आलू-प्याज के दाम भी बीते साल जून में मौजूदा दामों के मुकाबले करीब आधे थे।

आटा के थोक कारोबारी मुकेश चौहान के अनुसार दो दिन में थोक बाजार में आटा के दाम 50 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़े हैं। मंगलवार को थोक बाजार में ही आटा 2950 से 3000 रुपये पहुंच गया। यानी खेरची में अभी ओर महंगा होने वाला है। तीन हजार रुपये क्विंटल के पार आटा के भाव होना सामान्य नहीं माना जाता।

बीते साल दीवाली के आसपास आटा तीन हजार रुपये से ऊपर बिका तो सरकार ने नियंत्रण के कदम उठाए थे। अभी त्योहार की मांग भी नहीं है लेकिन नई फसल के गेहूं की मंडियों में आवक कम है ऐसे में दाम बढ़ रहे हैं।

 इंदौर व प्रदेश के खेरची बाजार में तुवर दाल 180 से 200 रुपये किलो बिक रही है। चना दाल 86 से 110 रुपये किलो और मूंग दाल 105 से 130 रुपये किलो तक बिक रही है। सबसे सस्ती दालों में शुमार होने वाली मसूर दाल के दाम भी 85 से 100 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। दलहन के आयातक अरुण दोषी के अनुसार बीते वर्ष के तुवर दाल उपभोक्ता के लिए करीब 60 रुपये किलो और चना दाल भी 30 रुपये किलो तक महंगी हुई है।

देश में दलहन का उत्पादन कम हुआ है। भारत दालों के आयात पर निर्भर है। देश की कमी का लाभ उठाते हुए प्रमुख निर्यातक म्यांमार के साथ अफ्रीकी देशों और आस्ट्रेलिया व कनाडा के उत्पादकों ने दाम बढ़ा दिए हैं। ऐसे में महंगाई बढ़ रही है। खेरची बाजार में दालों पर प्रति किलो पर 25 रुपये प्रति किलो तक का मुनाफा कारोबारी वसूल रहे हैं।

एक ओर आटा-दाल-सब्जियां सब महंगे हुए हैं लेकिन शक्कर (चीनी) और खाद्य तेल ने ही इस साल परेशान नहीं किया है। खेरची बाजार में रसोई की इन दोनों जरुरी वस्तुओं के दाम स्थिर हैं। शक्कर खेरची बाजार में 43 रुपये किलो और सोयाबीन तेल के दाम 105 से 110 रुपये लीटर है।

इन दोनों ही वस्तुओं के दाम बीते वर्ष जून में भी इसी स्तर पर थे। चावल के निर्यात पर भी सरकार ने नियंत्रण लगा दिया है। किस्में भी बहुत है इसलिए हर 40 रुपये से 125 रुपये तक हर दाम पर चावल उपभोक्ता को मिल रहा है।
इन दोनों ही वस्तुओं के दाम बीते वर्ष जून में भी इसी स्तर पर थे। चावल के निर्यात पर भी सरकार ने नियंत्रण लगा दिया है। किस्में भी बहुत है इसलिए हर 40 रुपये से 125 रुपये तक हर दाम पर चावल उपभोक्ता को मिल रहा है।

SourceNaidunia
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