इंदौर शहर में सुपर कॉरिडोर से लेकर रेडिसन चौराहे तक मेट्रो रेल प्रोजेक्ट का काम जारी है। इस दौरान सुपर कॉरिडोर में मेट्रो रेल का ट्रायल रन भी किया गया। अब बीच शहर से मेट्रो रेल गुजारने पर मंथन जारी है। सबका जोर अंडरग्राउंड लाइन पर है, जिससे किसी भी निर्माण को हटाने की नौबत नहीं आएगी।
शहर के प्रबुद्धवर्ग व जनप्रतिनिधियों द्वारा मेट्रो के वैकल्पिक रूट की मांग के बाद अब यह कवायद की जा रही है कि मेट्रो का काम भी प्रभावित नहीं हो और बदलाव भी हो। वहीं कनाड़िया व एमजी रोड क्षेत्र के लोगों को मेट्रो निर्माण के दौरान यातायात संबंधी परेशानी भी नहीं झेलना पड़े। मेट्रो को पीपल्याहाना चौराहे से रीगल ले जाने के विकल्प के बजाए खजराना से बंगाली चौराहे के बीच मेट्रो को भूमिगत करने का फिलहाल बेहतर विकल्प माना जा रहा है।
गौरतलब है कि अभी रोबोट चौराहे से बंगाली चौराहा, पलासिया चौराहा होते हुए हाई कोर्ट तक मेट्रो का हिस्सा एलिवेटेड प्रस्तावित है और रीगल से एयरपोर्ट तक हिस्सा भूमिगत। यदि प्रोजेक्ट में बदलाव किया जाता है तो रोबोट चौराहे से खजराना चौराहे तक मेट्रो का ओवरहेड हिस्सा होगा, उसके बाद भूमिगत किया जाएगा। इस तरह यह हिस्सा आगे रीगल से एयरपोर्ट तक बनने वाले मेट्रो के भूमिगत हिस्से से भी जुड़ेगा।
हालांकि ऐसा करने मेट्रो के इस हिस्से का तीन साल का काम पांच साल में पूरा होगा। वहीं लागत 543 करोड़ से बढ़कर 1200 करोड़ रुपये हो जाएगी। 17 जून को ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में हुई हितधारक बैठक में जनता, जनप्रतिनिधियों के सुझाव के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने मेट्रो के अधिकारियों को एक माह में सर्वे रिपोर्ट तैयार करने को कहा है।
मेट्रो को ओवरहेड पिलर व वॉयडक्ट से भूमिगत करने के लिए ‘कट एंड कवर’ टनल बनाई जानी है। मौजूदा प्रोजेक्ट में यह एमजी रोड पर टीआइ माल से रेलवे स्टेशन के बीच हाईकोर्ट वाले हिस्से में मुख्य रोड पर ही यह बनना प्रस्तावित है।
इस हिस्से में एमजी रोड की मौजूदा सड़क का कुछ हिस्सा भी प्रोजेक्ट में लिए जाने के कारण शहर के प्रबुद्धवर्ग के लोगों ने एमजी रोड पर खोदाई करने के लिए आपत्ति ली। ऐसे में यदि खजराना से बंगाली चौराहे के बीच सर्विस रोड वाले हिस्से से मेट्रो को भूमिगत करने के लिए ‘कट एंड कवर’ टनल बनानी होगी।
इससे एमजी रोड पर मेट्रो को भूमिगत करने के लिए खोदाई नहीं होगी और ट्रैफिक डायवर्शन की जरूरत भी नहीं होगी। खजराना से बंगाली चौराहे के बीच पुल के सर्विस रोड का उपयोग किया जा सकेगा या पुल के बोगदों के नीचे भी ट्रैफिक डायवर्ट किया जा सकेगा।
बंगाली से कनाड़िया, पत्रकार चौराहा होते हुए पलासिया तक ओवरहेड मेट्रो रूट होने से कई लोगों के निर्माण भी हटाने पड़ते। इस पर क्षेत्रीय विधायक व लोगों की आपत्ति भी थी। अंडरग्राउंड होने से निर्माण हटाने की नौबत नहीं आएगी।
मेट्रो को बंगाली चौराहे से पीपल्याहाना चौराहे होते हुए रीगल लाकर नया रूट बनाने के बजाए मौजूदा मेट्रो रूट के अलायमेंट पर ही बदलाव करना आसान है। गहराई में काम होगा इसलिए अंडरग्राउंड मेट्रो रूट के हिसाब से जियो टेक्निकल सर्वे करवाना होगा।
पिछले दो दिनों में मेट्रो के अधिकारियों ने वैकल्पिक मार्गों का निरीक्षण भी किया। मेट्रो के अधिकारी भी एमजी रोड के बजाए खजराना से बंगाली चौराहे के बीच वाले हिस्से से मेट्रो को भूमिगत करने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं।
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