Thursday, September 19, 2024
spot_img
Homeप्रदेशइंदौर के एमवाय अस्पताल में बनेगा मध्य प्रदेश का पहला सेंटर ऑफ...

इंदौर के एमवाय अस्पताल में बनेगा मध्य प्रदेश का पहला सेंटर ऑफ कंपिटेंसी

इंदौर सहित धार, झाबुआ, आलीराजपुर जिले में बड़ी संख्या में मरीज हैं। भारत सरकार की योजना के हिसाब से 2047 में सिकलसेल का उन्मूलन किया जाना है। इन जिलों में सर्वे भी चल रहा है। राज्यपाल स्वयं इसकी निगरानी कर रहे हैं। उनके पास रिपोर्ट भी जमा हो रही है।

इंदौर के एमवाय अस्पताल में निरीक्षण करते हुए डब्ल्यूएचओ के अधिकारी।

एमवाय अस्पताल में मिलेगा सिकलसेल मरीजों को आधुनिक इलाज।

अस्पताल में सिकलसेल एनीमिया के करीब 1400 मरीज रजिस्टर्ड हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारियों ने दिखाया है सकारात्मक रुख।

इंदौर शहर के शासकीय अस्पतालों की सुविधाओं में लगातार सुधार हो रहा है। एमवाय अस्पताल में मध्य प्रदेश का पहला सेंटर ऑफ कंपिटेंसी इन सिकलसेल बनाने की योजना पर काम चल रहा है। इसमें सिकलसेल का आधुनिक इलाज मरीजों को मिलने लगेगा।

ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में सेंटर के निर्माण के लिए डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के राष्ट्रीय अधिकारी पब्लिक हेल्थ डॉ. प्रदीश सीबी ने मंगलवार को निरीक्षण किया। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन के साथ ब्लड बैंक, बोनमेरो ट्रांसप्लांट यूनिट, थेलेसिमिया डे केयर सेंटर सहित अन्य सुविधाएं सूक्ष्मता से देखीं।

ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यहां पर अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सुविधाएं हैं या नहीं। सेंटर की स्थापना को लेकर सकारात्मक रुख दिखाया, जिससे उम्मीद है कि जल्द ही मंजूरी मिल जाएगी।

आदिवासी क्षेत्र के मरीजों को मिलेगा आधुनिक इलाज

बता दें कि सेंटर के शुरू होने के बाद इंदौर सहित प्रदेश के अन्य जिले, विशेषकर आदिवासी बहुल क्षेत्रों जैसे आलीराजपुर और झाबुआ के मरीजों को अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी। यह केंद्र सिकलसेल एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी के इलाज में महत्वपूर्ण होगा। अधीक्षक डॉ. अशोक यादव ने बताया कि अब हमें उम्मीद है कि जल्द सेंटर शुरू हो जाएगा।

मॉलिक्यूलर लैब की भी मिल चुकी सहमति

एमवायएच में वर्तमान में सिकलसेल एनीमिया से पीड़ित करीब 1400 मरीज रजिस्टर्ड हैं, जिन्हें इलाज की सुविधा दी जा रही है।

बता दें कि मॉलिक्यूलर लैब सेटअप के लिए भी दो करोड़ रुपये की सैद्धांतिक सहमति मिल गई है। इसमें रेडियोलाजी, प्रसूति, शिशु रोग, मेडिसिन विभाग आदि से समन्वय कर आधुनिक जांच की जाएगी।

SourceNaidunia
RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments