Friday, October 18, 2024
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इंदौर में बीएसएफ के फायरिंग रेंज से निकली गोली से युवक की मौत, पास हो रहे निर्माण पर उठे सवाल

इंदौर स्थित सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की रेवती रेंज देशभर में ख्यात है। यहां देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी स्नाइपर ट्रेनिंग लेने आते रहे हैं। सेंट्रल स्कूल्स आफ वेपंस एंड टैक्टिक्स के तहत पैरा मिलिट्री फोर्स व पुलिस को ट्रेनिंग देने में इस रेंज को अव्वल माना जाता है।

इंदौर में रेवती रेंज से दो किमी दूर हुआ हादसा।

ग्राम बरदरी पहले पंचायत के अंतर्गत आता था।

नगर निगम ने इसे अपने क्षेत्र से बताया है बाहर।

इंदौर में मंगलवार को बीएसएफ की रेवती रेंज से निकली गोली से सुपरवाइजर की मौत के मामले में कई सवाल उठे हैं। जहां हादसा हुआ, वह जगह बीएसएफ की फायरिंग रेंज से केवल दो किमी की दूरी पर है क्योंकि गोली लगने की दूरी इतनी ही बताई गई है।

ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या फायरिंग रेंज के इतने पास व्यावसायिक निर्माण किया जा सकता है? बहरहाल, नईदुनिया की पड़ताल में सामने आया कि जहां हादसा हुआ, वह ग्राम बरदरी पहले पंचायत के अंतर्गत आता था।

नगर निगम सीमा का विस्तार हुआ और शहर से लगे 29 गांव शहर में शामिल किए गए, उसके बाद से यह गांव निगम के जोन 17 के अंतर्गत आने लगा। हालांकि एमआईसी सदस्य और भवन अनुज्ञा प्रभारी राजेश उदावत के मुताबिक निगम सीमा में शामिल सभी ग्रामों के नक्शे नियमानुसार ही स्वीकृत किए जाते हैं। जिस जगह हादसा हुआ है, वह नगर निगम सीमा से बाहर है।

स्नाइपर ट्रेनिंग के लिए देशभर में ख्यात है रेवती रेंज

रेवती रेंज पर स्थित इस बीएसएफ केंद्र की पहचान भारतीय सेना व पुलिस जवानों को दी जाने वाली स्नाइपर ट्रेनिंग के लिए है। यहां हर साल 100 से ज्यादा जवानों को स्नाइपर बनने का विशेष और कठोर प्रशिक्षण मिलता है। इसके अलावा बीएसएफ की रेवती रेंज में अभ्यास करके कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज भी तैयार हुए हैं।

बीएसएफ सीएसडब्ल्यूटी में हर साल स्नाइपर ट्रेनिंग के दो कोर्स बीएसएफ जवानों के लिए होते हैं। इसके अलावा यहां हर वर्ष एक हजार से ज्यादा बीएसएफ अधिकारी व जवानों को पिस्टल, इंसास, एलएमजी, एके 47, 51 एमएम मोर्टार, सीजीआरएल चलाने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

रेवती रेंज में बीएसएफ की अंतरराष्ट्रीय स्तर की 10 मीटर एयर पिस्टल रेंज बनी हुई है। यहां बीएसएफ सेंट्रल शूटिंग टीम द्वारा अभ्यास किया जाता है। घना जंगल हो या मरुस्थल या फिर बर्फीली चोटियां, यहां पर जवान दुश्मनों की आंखों में धूल झोंकते हुए लक्ष्य तक पहुंचने की कला बखूबी सीखते हैं।

SourceNaidunia
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